PSCT कैसे जोड़ रहा है उत्तर प्रदेश के लोगों को?

उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है — जनसंख्या के लिहाज़ से भी और सामाजिक विविधता के मामले में भी। यहाँ हर क्षेत्र, हर कस्बा, हर गाँव अपनी अलग पहचान रखता है, लेकिन एक बात जो सबमें समान है — वह है ज़रूरत के समय किसी सहारे की उम्मीद।

जब कोई परिवार किसी संकट से गुज़रता है — जैसे आकस्मिक मृत्यु, गंभीर बीमारी तब उसकी सबसे बड़ी ज़रूरत होती है, समय पर सहयोग। 

कई बार एक पिता को अपनी बेटी की शादी के लिए भी आर्थिक सहयोग की आवश्यकता पड़ जाती है। 

इसी को ध्यान में रखते हुए Public Self Care Team (PSCT) एक नई सोच और व्यवस्था के रूप में सामने आया है। यह संस्था अब पूरे उत्तर प्रदेश में अपने उद्देश्य और व्यवस्था के साथ तेज़ी से फैल रही है

क्या एक सोच पूरे प्रदेश को जोड़ सकती है?

PSCT का मॉडल एकदम सीधा है — यह संस्था किसी को सीधे आर्थिक सहायता नहीं देती, बल्कि लोगों को जोड़ती है। जैसे ही किसी सदस्य को ज़रूरत होती है, संस्था एक alert जारी करती है। इस alert में ये साफ़ लिखा होता है कि मदद किसको करनी है, क्यों करनी है और कितनी करनी है। साथ ही उस सदस्य का बैंक खाता भी दिया जाता है।

इसके बाद सभी सदस्य स्वेच्छा से तय की गई राशि उस सदस्य के खाते में जमा करते हैं। न कोई बिचौलिया, न कोई देरी — सिर्फ एक पारदर्शी और भरोसेमंद प्रक्रिया। यही वो सोच है जो प्रदेश के कोने-कोने को जोड़ रही है।

PSCT पूरे उत्तर प्रदेश तक कैसे पहुँच रहा है?

PSCT की कार्यप्रणाली आज की डिजिटल दुनिया के अनुरूप है। किसी भी नागरिक को संस्था से जुड़ने के लिए न किसी दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते हैं, न कोई लंबी प्रक्रिया होती है। रजिस्ट्रेशन सिर्फ कुछ मिनट में publicselfcareteam.com पर हो सकता है।

सभी alerts और जानकारी WhatsApp, Telegram और Facebook जैसे माध्यमों से भेजी जाती हैं। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के छोटे गाँवों से लेकर दूर-दराज़ इलाकों तक — लोग PSCT से जुड़ रहे हैं। संस्था ना तो किसी धर्म, जाति या वर्ग का भेद करती है और ना ही किसी स्थान का — यहाँ जुड़ने वाला हर व्यक्ति PSCT परिवार का हिस्सा बन जाता है।

1000+ लोग क्यों और कैसे जुड़ चुके हैं?

आज PSCT से 1000 से ज़्यादा लोग जुड़ चुके हैं — और ये संख्या हर दिन बढ़ रही है। इसकी वजह है लोगों का विश्वास। यहाँ कोई दिखावा नहीं है, कोई लालच नहीं है। सदस्य जुड़ते हैं क्योंकि वे अपने लिए नहीं, सामूहिक सोच के लिए जुड़ना चाहते हैं।

हर alert साफ़ होता है — उस ज़रूरतमंद का नाम, स्थिति और बैंक खाता सब कुछ स्पष्ट होता है। पैसा सीधे उसी व्यक्ति के खाते में जाता है — संस्था इसे छूती तक नहीं। यही वजह है कि लोग इसे एक सामाजिक आंदोलन की तरह देख रहे हैं।

क्या PSCT भविष्य में पूरे प्रदेश की ताकत बन सकता है?

सोचिए अगर उत्तर प्रदेश के हर गाँव, हर ब्लॉक, हर मोहल्ले से सिर्फ 100 लोग भी जुड़ जाएं — तो राज्य का हर नागरिक एक सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ जाएगा। कोई भी दुर्घटना, विवाह या संकट अकेले नहीं झेलना पड़ेगा।

यह एक ऐसी व्यवस्था है जो समाज से ही बनी है और समाज के लिए ही काम करती है। यह कोई सरकारी योजना नहीं है, न कोई बीमा, न कोई व्यापार — यह है “लोगों द्वारा, लोगों के लिए बनाई गई एक जिम्मेदार व्यवस्था।”

उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए

PSCT से जुड़िए, क्योंकि एकजुटता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।

आकस्मिक मृत्यु पर सहयोग योजना
कन्यादान सहयोग योजना
दुर्घटना सहायता योजना

हेल्प लाइन नम्बर – 9044540057

निष्कर्ष

PSCT एक सामान्य संस्था नहीं है। यह एक सोच है — जो कहती है कि समाज तब मजबूत होता है, जब उसमें जुड़े लोग एक-दूसरे की जिम्मेदारी उठाना जानते हैं। यहाँ कोई अकेला नहीं होता। यहाँ मदद मांगनी नहीं पड़ती — मदद खुद चलकर आती है।

अगर आप चाहते हैं कि जब कभी ज़रूरत पड़े, तो आपके साथ भी कोई खड़ा हो — तो आज जुड़िए PSCT से।
publicselfcareteam.com पर जाएं, नियमावली पढ़ें और सदस्य बनें।
क्योंकि यही है समाज की असली ताकत — एक साथ, एक सोच, एक दिशा।

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